एक कशमकश है , है नाम - ज़िंदगी
कभी ख्वाब दिखती , कभी रवानगी
दौड़ता रहा पीछे जिसके तू दिन भर
तेरी परछाई थी , साथ चली तेरे दिलबर
अब हुई शाम और तू मुड़ा है अब
कहाँ है वो.......
वो घुल गयी साँझ की किरणो के साथ
शाम ढले आने वाली शब बन कर
'शेष कल' ....
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Good and Thanks for Hindi Blogging
जवाब देंहटाएंगायत्री
जवाब देंहटाएंसच की पथरीली जमीं पर
झूठ का एक आसमान है जिन्दगी
याद रखना
दोस्तो से अजनबी और
दुश्मनों से आशना है जिंदगी
तो दोस्तो से नाता जोडो फिर ना रहोगे भीड़ मे तनहा
अच्छा लिखा है. बधाई. लिखते रहें.
जवाब देंहटाएंथोड़ा आपकी नजर..
जवाब देंहटाएंकभी सुनहली धूप है,
कभी गौधुली शाम है जिंदगी,..
बहुत खूब अच्छा लिखा है,..बधाई
सुनीता(शानू)
Aha!!!
जवाब देंहटाएंगायत्री जी,सुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंएक कशमकश है , है नाम - ज़िंदगी
कभी ख्वाब दिखती , कभी रवानगी