शुक्रवार, जनवरी 25, 2008

मैं .....कौन.....पथ पर ...

कारवाँ गुज़र गये
मैं कही नही गया
बीती सदियान कई
था वक़्त मेरा थम गया ....

कितने राज पाट देखे
राजा बन फकीर देखे
फ़ासले घटते रहे
तूफान भी गुज़र चले
पर था खड़ा जहाँ
मैं कभी नही हिला .....

मैं.....मील का पत्थर...
गुज़रे इतिहास का गवाह...

रास्तो के किनारे पे
आज भी वहीं खड़ा
जहाँ मैं गाड़ा गया था
कई सदियों पहले बन निशाँ .....

बन इत्तिहास का मौन गवाह
मैं... मील का पत्थर.....
मैं....मौन दर्शक......
मैं ....मूक श्रोता .......

शुक्रवार, जनवरी 11, 2008

कोई अनजाना सा .....

एक अनोखा सा भाव हे जों
हर पल महसूस हुए मुझको
तेरे आने की हर आहट पर
मॅन कहता हे ऐसे कुछ तो

अब तक तो मैंने सबसे
रक्खा था छुपा के तुझको
तू सोचे वही जों मैं सोचूं
तू समझे वही जों मैं कह दूँ

जिस दिन से हम तुम है जुडे
मैंने है दिए तुझे संस्कार मेरे
अपने कोख की परतों में
अपने ख्वाबो की बस्ती में......

एक अनजाना भय है फिर भी
आ आ के सताता हे पल छिन
क्या तू बन पायेगा
जों चाहे बनाना मेरा दिल

क्या इस दुनिया के रंगो में
रंग जाएगा तू भी इक दिन
या फिर मेरे नक्शे कदम पे
रख पायेगा अपने पद चिह्न .....

पर मेरे बच्चे है मुझे यकीन
तू होगा इक कच्ची मिटटी
गड़ पाऊँगी अपने रंग ढंग में
गड़ पाऊँगी में तेरी हस्ती

आखिर तेरा मेरा रिश्ता था जुडा
दुनिया से महीनों पहले का
अब नही कोई डर इस दिल में
बस है इक आस तन मन में
है एक इंतज़ार.......

....तुझे भर अपनी बाहों में
सुनाऊं लोरिया कानो में
मेरे नन्हें सपने ,
मेरे अन्जन्मे मुन्ने .