दुनिया गोल है ....
धुरी पर गूमती धरती
आ जाती है वापिस धुरी पर .......
सूरज गोल है ,चन्दा भी गोल है
फिर आ जाते है वहीं पर ही
सफ़र शुरू किया था जहाँ पर
दिन रात का मिल कर कभी.....
समय का चक्र चलता रहता हे
गोल हैं शायद इसलिए ये
सब ही .....
गर...
धरती गोल है तो मकान चौकौर क्यूं
ग़र....
दुनिया गोल है क़ब्र चौकौर क्यूं
इसलिए शायद ......
आदमी दुनिया में कहीं भी जाए आख़िर
वापिस आता है घर ही अपनी चार दीवारी में,
अपने दायरे के भीतर.....
छुप के जग से कहीं भी
चला जाए
आखिर आदमी जाता तो वही ही
छे ग़ज़ ज़मीन के नीचे
कब्रीस्तान की चार दीवारी में
क़ब्र के चार कोनुओ में सिमटकर
रहने को सदा वहीं ......
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लगता है इसी लिये मुझे स्कूल में अक्सर गोल नम्बर मिलते थे।
जवाब देंहटाएंNow this is the very first theorem,that i have ever comprehended,as far as geometry in concerned...superb will fall short...so i'm deliberately streching it.....
जवाब देंहटाएंSUPERBBBBBBBB
Di!!
जवाब देंहटाएंroti bhi gol hai aur insaan ke kitne kone hain kuchh pata hi nahin...
kuchh sawalon ke jawab nahin hote..jinmein se yeh bhi hai ki duniya gol hai aur ghar chaukor..kyun??
Salaam aapko..is kavita ke liye