शुक्रवार, फ़रवरी 27, 2009

आदतें भी अजीब होती हैं.**

आदतें भी अजीब होती हैं.....

सिगरट के धुए की तरह
साँसों में बस गए हो तुम
निकोटीन की डोस बन कर.....

दिल चाहता है कि
यह कमबख्त धुआ
ज़मी से उड़ कर-
बस जाए आँखों में तेरी
दो बूँद आंसू बन कर .....

और जब भी नम पलके रो कर
आँखों से खफा हो जाए ,
नादान आंसू ढलक के
उतर जाए दिल में तेरे......
आगोश में साँसों को लिए
बस जाए धड़कन की जगह
और........
मेरे होने की मीठी चुभन
तेरे दिल में टीस दे गुज़र जाए
मेरे न होने का सबब लिए हुए ....

क्यूँ न मैं फिर से जी लूँ एक पल
जैसे जिया करती थी सदियों पहले ...
- एक पल भी एक सदी से कम तो नही -

आदतें भी अजीब होती हैं...
जीने नही देती जीते - जीते
और मर के मरने भी नही देती ...

** शीर्षक के लिए आभार मेरे मित्र "मस्तो "को , उन्हें यहाँ पढ़े :
ह्त्त्प://मस्तो९६.ब्लागस्पाट.कॉम/२००७/०८/ब्लॉग-पोस्ट_१४.हटमल

22 टिप्‍पणियां:

  1. सिगरट के धुए की तरह
    साँसों में बस गए हो तुम
    अद्भुत बिम्ब है. बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. कोई इतनी ही सरलता से सिगरेट या दूसरा नशा छोड़ पाता जितनी कि कविता है तो कितना अच्छा होता

    ---
    चाँद, बादल और शाम

    जवाब देंहटाएं
  3. शीर्षक के लिए वैसे तो आभार गुलज़ार साहब को जाना चाहिए.. पर मस्तो ने अपनी ज़िंदगी का एक मास्टर पीस लिखा है.. जो मैं कई कई बार पढ़ चुका है.. दिल में गहरे तक उतर जाता है..

    आपकी लिखावट ने भी समा बाँध दिया..

    जवाब देंहटाएं
  4. You have a awesome blog here.. kya kavitaye kya kahaniya. sab shaandaar :-) pahli baar aana hua aapke blog pe shayad :-) ab to aan jaan laga hi rahega :-) bahut pyara likhti hai aap :-)
    Rohit Tripathi

    जवाब देंहटाएं
  5. दिल चाहता है कि
    यह कमबख्त धुआ
    ज़मी से उड़ कर-
    बस जाए आँखों में तेरी
    दो बूँद आंसू बन कर .....
    वाह वाह बहुत सुन्दर लिखा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. ek ehtarin rachana ke liye bahut badhai,bahut alag aur achhi lagi.

    जवाब देंहटाएं
  7. क्यूँ न मैं फिर से जी लूँ एक पल
    जैसे जिया करती थी सदियों पहले ...
    - एक पल भी एक सदी से कम तो नही -

    बहुत सुन्दर बढ़िया लगी यह

    जवाब देंहटाएं
  8. आप आये तो सही...ओर क्या खूब आये ....गुलज़ार की इन पंक्तियों ने कई बार मुझे भी खींचा है कुछ लिखने के लिए पर शायद आप जैसा नहीं लिख पाता .....खूबसूरत .........गायत्री जी अब इस महफ़िल को जलाए रखिये

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सब के प्रोत्साहन और विचारों के लिए बहुत शुक्रिया।
    @इष्ट देव जी : शुक्रिया
    @रस्तोगी जी : कुछ आदतें अच्छी भी होती है -जैसे लिखना और पड़ना :)
    @विनयजी : सही कहा आपने
    @भारतीय नागरिक जी : तुलना सहज थी, देखिये न हमारे आस पास कितने लोग है जो आदतन धूम्रपान करते है .
    @कुश : सही कहा आपने , हमारी हर रचना के पीछे वही तो है , मस्तो की रचना भी ऐसी जेहन में उतारी हुई थी, कीकही उसको "tribute "देना ज़रूरी था :)
    @रोहित जी : आते रहिये :)
    @शोभा जी, महक जी, रंजना जी : बहुत शुक्रिया
    @डॉक्टर साहब : शुक्रिया। हमें भी इंतज़ार है आपकी और कुश जी की डबल काफी का .

    जवाब देंहटाएं
  10. Pahla reaction to ye hai Di ki aisi kavita kyun likhi?only for the sake of writing?

    bimb bahut hi achha prayog kiya hai.ye dard hai ya gussa ye kahne wala mushkil hai.

    masto ki rachna se prerit hai isliye us se tulna nahin karunga.

    bas yahi kahunga kavita achhi hui hai :)

    जवाब देंहटाएं
  11. आपके ब्लॉग भ्रमण पर मेरी साहित्य की जानकारी हमेशा बढ़ जाती है. शुक्रिया आपका.

    जवाब देंहटाएं
  12. @पल्लवी जी : शुक्रिया । आपका ब्लॉग देखा, अच्छा लगा। जब भी मौका लगेगा ,पहुच कर कुछ मोती चुन लूंगी। आप भोपाल से है और हमारा भोपाल से गहरा नाता है ,मिलते रहिये :)

    जवाब देंहटाएं
  13. @राजीव जी : बहुत शुक्रिया ,आते रहिये .

    जवाब देंहटाएं
  14. @पीयूष : बिम्ब का प्रयोग स्वाभाविक था। हमारे पड़ोस के ऑफिस में महिलाओं का हुजूम है जो सिगरेट पर जीती है ... देख कर लगता है निकोटीन सांसो में बसा हुआ है उनकी ,तभी कर दो घंटे में महफ़िल जमती है .

    ....कविता की मूल प्रेरणा रिया ने दी थी । किसी बात पर रूठ कर रो पड़ी, उसकी घनी पलकों पर अटके दो बूँद आंसुओं ने मन को छू लिया , रिया तो मान गई पर कविता बह निकली.....

    जवाब देंहटाएं
  15. gulzaar ka, gulzaar se inspired, gulzaar jaisa, ya gulzaar.....
    ...kuch bhi padne ko mil jaaye kiche chal aate hain hum...
    apne to sama hi baandh diya...
    khaas kar:
    दिल चाहता है कि
    यह कमबख्त धुआ
    ज़मी से उड़ कर-
    बस जाए आँखों में तेरी
    दो बूँद आंसू बन कर .....

    (yaad aa gaya kuch...
    ....aansu ki jagah aata hai dhua...
    jine ki vajah to koi nahi! marne ka bahana dhoondta hai....)

    जवाब देंहटाएं