राजू से शेखर मिले,
कर कर लम्बे हाथ.
कर कर लम्बे हाथ मिले तो चमकी किस्मत
और दूर हुई उनके जीवन में फैली खट - पट.
दूर हुई खट - पट तो उनका मन मुस्काया,
और खेल - कूद का मौसम फिर से वापिस आया.
इसी तरह 'गर सब जन मिलते,
कर कर लम्बे हाथ;
ह़ंसी खुशी का राज हो दिल में,
जग में हो उल्लास
सुन्दर सी कविता सहज भाषा गहेरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
http://manoria.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंबहुत सहज भाषा में बहुत गहरी बात कह गए आप । शुक्रिया शेखर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सीख देती रचना...
जवाब देंहटाएंसुखद कविता
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
achchhi kavita
जवाब देंहटाएंwaah !
जवाब देंहटाएंanand aaya !
badhaai !