बुधवार, फ़रवरी 25, 2009

एक बाल कविता


राजू से शेखर मिले,

कर कर लम्बे हाथ.


कर कर लम्बे हाथ मिले तो चमकी किस्मत

और दूर हुई उनके जीवन में फैली खट - पट.


दूर हुई खट - पट तो उनका मन मुस्काया,

और खेल - कूद का मौसम फिर से वापिस आया.


इसी तरह 'गर सब जन मिलते,

कर कर लम्बे हाथ;

ह़ंसी खुशी का राज हो दिल में,

जग में हो उल्लास

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सी कविता सहज भाषा गहेरी अभिव्यक्ति
    मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
    http://manoria.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सहज भाषा में बहुत गहरी बात कह गए आप । शुक्रिया शेखर जी ।

    जवाब देंहटाएं