टुकडो में छुआ है तुमको
कभी सुबह की ओस बन कर
कभी लबो पे शोख बन कर ...
बन के मदमाती हवा
गुज़रा हूँ गेसुओं से तेरी
और बन के परवाना कभी,
मिला हूँ शमाओं सें कई....
टुकडो में जिया है अब तक
आधे अधूरे ख्वाब बुन कर.....
ले के दिल में आस तेरी
अब से तब तलक ठन कर
जो पा सकू तुझे कभी
तो गुज़र जायेगी इक सदी
कभी ग़मों का शाख बन कर
कभी खुशी का साथ बन कर
न मिल सको गर तुम ..
तो कट जायेगी ज़िन्दगी
कभी फलक की राख बन कर
कभी सेहर की ख़ाक बन कर .....
.....और में हवाओं में घुल कर
लिपट जाऊँगा गेसुओं से तेरी ......
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sundar bhav hai kavita ke,badhai.
जवाब देंहटाएंटुकडो में जिया है अब तक
जवाब देंहटाएंआधे अधूरे ख्वाब बुन कर.....
ले के दिल में आस तेरी
अब से तब तलक ठन कर
dil ko chune waali rachna hai
और में हवाओं में घुल कर
जवाब देंहटाएंलिपट जाऊँगा गेसुओं से तेरी
....भाव-विह्वला पंक्तियां.
बहुत बढ़िया रचना. बधाई
जवाब देंहटाएंआख़िरी की पंक्तियाँ बहुत ख़ूबसूरत हैं
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
tukdon mein chua hai tumko..........waah kya likh diya aapne..........bahut gahre bhav har pankti mein.
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi....specially last two lines.
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंटुकडो में जिया है अब तक
जवाब देंहटाएंआधे अधूरे ख्वाब बुन कर.....
ले के दिल में आस तेरी
अब से तब तलक ठन कर
बेहतरीन लगी यह पंक्तियाँ सुन्दर अच्छा लिखा है आपने
कुछ शब्द तो शानदार है..
जवाब देंहटाएंमेरे आधे अधूरे शब्दों को कुछ नए मायने देने के लिए आप सब का धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंkhubsurat kalpanaon ka ashcharya melbandhan...likhte rahie di...inspiration milti hai hum e...
जवाब देंहटाएंटुकडो में जिया है अब तक
जवाब देंहटाएंआधे अधूरे ख्वाब बुन कर.....
Very nice.
Keep writing Gayatri...
main hwaao me gul kar lipt jaunga tere gesun se....very toching...yeh adhe adure shabad puree baat kah jaate hai
जवाब देंहटाएंDear All :Thank you for your encouraging words.
जवाब देंहटाएंटुकडो में जिया है अब तक
जवाब देंहटाएंआधे अधूरे ख्वाब बुन कर.....
kya baat hai...
गायत्री जी,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसासों को महसूस किया जा सकता है, एक अच्छी रचना।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी