शब्द है किलाखो की संख्यामेदिलो दीमागपर हावी हुए जाते है ....शब्दो को स्याही सेशक्ल दो तो किस्से ,कहानिया ,कविताएबन उभरती हैं . समय से हमेशा प्रतिस्पर्धा रहती है मेरी . कामकाजी महिला ,ग्रहणी , माँ, पत्नी ,बेटी ,बहू हूँ और इन सब के बाद एक लेखिका..... शब्दो की दोस्त ,हमदर्द .... यहाँ है -कुछ मेरी कही -सुनी ,कुछ जग देखी का विवरण ...आप के समक्ष..आप की समीक्षा के लिए .
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