हर क़दम संभल के रखो
हर हरफ़ वज़न कर कहो
लाइफ में कोई यू- टर्न नही है .....
हर रिश्ता खुल के जियो
शक को जगह कोई न दो
जो कहना है आज कहो
कल की कोई शाख नही है ........
नाराज़ हो कर तुम
दायरे समेट तो लो
पर दिल में दरिया रखो
हमदम खुदा तो नही है ......
तोड़ने से पहले कोई दिल
आयने में झाँक तो लो
जो रहता है उस पार वो
इतना भी पाक नही है ...
चटक जाए रिश्ता कोई
फिर से जुड़ सकता है
झिर्रिया फिर भी दिखती है
गांठो में साख नही है ......
हर कदम संभल के रखो
हर हरफ वजन कर कहो
हर नाता प्रेम से बाँचो
की रिश्तो में आंच नही है ....
पल भर में बुझते है
सदियों में फ़ना होते है
रिश्ते बड़े नाज़ुक होते हैं .....
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क्या बात है ....बेहद खूबसूरत भाव लिए हुई ...सच्ची बात कही आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंvah lajvab hai apki kalam bdhai
जवाब देंहटाएंकविता पर साधुवाद देने के लिए आप सब का शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की स्कूल है ये रचना.. क्या कुछ नहीं कहती..
जवाब देंहटाएंलाइफ में कोई यू- टर्न नही है .....
क्या बात कही है..
waah zindagi ka U turn sach bahut achhe se bayan hua hai,dil mein sambhale rakah hai.
जवाब देंहटाएंsach me rishte bade najuk hote hai....
जवाब देंहटाएंचटक जाए रिश्ता कोई
जवाब देंहटाएंफिर से जुड़ सकता है
झिर्रिया फिर भी दिखती है
गांठो में साख नही है ......
हर कदम संभल के रखो
हर हरफ वजन कर कहो
हर नाता प्रेम से बाँचो
की रिश्तो में आंच नही है ....
बहुत खूब....वैसे यू टर्न पर एक साल पहले मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी......
@अनुराग जी : मुझे याद है आपकी पोस्ट ...इस कविता के शुरुवात में जो त्रिवेणी है वो मैंने दो साल पहले १७ मार्च २००७ को अपने त्रिवेणी ब्लॉग पर और गुलज़ार कम्युनिटी ,ऑरकुट पर पोस्ट की थी ...आपको याद होगा:)....
जवाब देंहटाएंkya baat hai ................."life me koyee u turn naheen !
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