शनिवार, अप्रैल 11, 2009

यू टर्न

हर क़दम संभल के रखो
हर हरफ़ वज़न कर कहो

लाइफ में कोई यू- टर्न नही है .....

हर रिश्ता खुल के जियो
शक को जगह कोई न दो
जो कहना है आज कहो
कल की कोई शाख नही है ........

नाराज़ हो कर तुम
दायरे समेट तो लो
पर दिल में दरिया रखो
हमदम खुदा तो नही है ......

तोड़ने से पहले कोई दिल
आयने में झाँक तो लो
जो रहता है उस पार वो
इतना भी पाक नही है ...

चटक जाए रिश्ता कोई
फिर से जुड़ सकता है
झिर्रिया फिर भी दिखती है
गांठो में साख नही है ......

हर कदम संभल के रखो
हर हरफ वजन कर कहो
हर नाता प्रेम से बाँचो
की रिश्तो में आंच नही है ....

पल भर में बुझते है
सदियों में फ़ना होते है

रिश्ते बड़े नाज़ुक होते हैं .....

***********************


10 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है ....बेहद खूबसूरत भाव लिए हुई ...सच्ची बात कही आपने

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता पर साधुवाद देने के लिए आप सब का शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  3. ज़िन्दगी की स्कूल है ये रचना.. क्या कुछ नहीं कहती..

    लाइफ में कोई यू- टर्न नही है .....

    क्या बात कही है..

    जवाब देंहटाएं
  4. waah zindagi ka U turn sach bahut achhe se bayan hua hai,dil mein sambhale rakah hai.

    जवाब देंहटाएं
  5. चटक जाए रिश्ता कोई
    फिर से जुड़ सकता है
    झिर्रिया फिर भी दिखती है
    गांठो में साख नही है ......

    हर कदम संभल के रखो
    हर हरफ वजन कर कहो
    हर नाता प्रेम से बाँचो
    की रिश्तो में आंच नही है ....


    बहुत खूब....वैसे यू टर्न पर एक साल पहले मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी......

    जवाब देंहटाएं
  6. @अनुराग जी : मुझे याद है आपकी पोस्ट ...इस कविता के शुरुवात में जो त्रिवेणी है वो मैंने दो साल पहले १७ मार्च २००७ को अपने त्रिवेणी ब्लॉग पर और गुलज़ार कम्युनिटी ,ऑरकुट पर पोस्ट की थी ...आपको याद होगा:)....

    जवाब देंहटाएं