ख़्वाब संजोया है हमने
छुई मुई सा मद्धम मद्धम
पर देख हकीकत आह भरें
है ख़्वाब बड़े पर कमरे कम.........
ख़्वाब बड़े और कमरे छोटे
आसमा पर ग़र कुछ घर होते
बादलों से घर भर लेते
मुट्ठी मे बाँध कर तारो को
घर अपना जग मग कर लेते
हे ख्वाब बड़े और कमरे छोटे .....
आँख बाँध कर सपने सजोंये
पंख पखेरू साथ ले लाये
आस्मां में उड़ भर आए
बहुत खेल ली
लुक्का छुप्पी .......
छोटे छोटे कमरों मे भर
खुशिया बड़ी बड़ी सजाये
सुंदर सरल मनमोहक
अपना इक आशियाँ बसाए ....
***ख्वाब बड़े पर दिल नही छोटे ***
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बहुत दिनों बाद आयी है पर एक खूबसूरत कविता लेकर....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया, बधाई.
जवाब देंहटाएंख़्वाब संजोया है हमने
जवाब देंहटाएंछुई मुई सा मद्धम मद्धम
पर देख हकीकत आह भरें
है ख़्वाब बड़े पर कमरे कम.........
वाह!!
***राजीव रंजन प्रसाद
***ख्वाब बड़े पर दिल नही छोटे ***
जवाब देंहटाएंवाह क्या कविता है.
सुंदर.
सुंदर अभिव्यक्ति.. यूही लिखती रहिए..
जवाब देंहटाएंआप सबकी हौसला अफ़ज़ाहि का शुक्रिया
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