एक अज़ीज़ मित्र की अँग्रेज़ी कविता का अनुवाद किया है जो यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ ....
मेरी तरह ही...
कुछ मेरी तरह
ज़िंदगी की दौड़ में
तुमने बहुत फ़ासले ,
ताए किए होंगे
कुछ मेरी तरह
तुमने कल के साए
आज के अंधेरोन में,
दफ़ना दिए होंगे
कुछ मेरी तरह
धूँढ में लिपटा मेरा अक्स
मन के आईने में
अब तुम्हे दिखता नही होगा
कुछ मेरी तरह ही
हुमारी दोस्ती की किताब पे बूना
मकड़ी का जाला बढ़ गया होगा
और
मेरी तरह ही तुमने पलट कर कभी
उस दर को नही देखा होगा
जो गली के कोने में उदास, अकेला खड़ा है
टूटी ज़ख़्मी उसकी दीवारें
आज भी तुम्हारे बचपन की किलकारियाँ
अपने आगोश में समेटे खड़ी हैं
याद है
अँगन में उस घर के हुमारी
दोस्ती की नींव पे एक पौध उगी थी
आज वहाँ बर्गाड़ का
एक सूखा सा ठूँथ खड़ा है
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किसने कहा कि आप Lonely in a crowd हैं। हम सब भी हैं।
जवाब देंहटाएंab main kya kahoon Di...
जवाब देंहटाएंmujhe is tarah ki kavitayein bahut hi pasand aati hain..
aur khaaskar is tarah ki bhasha..matlab writing style..
aur ending kitna khoobsoorat hai...
great Di!!
Gayatri di,
जवाब देंहटाएंYe poem bahot pasand aai apki humein. Khaskar end. Khoobsoorat hai.