शनिवार, अप्रैल 11, 2009

यू टर्न

हर क़दम संभल के रखो
हर हरफ़ वज़न कर कहो

लाइफ में कोई यू- टर्न नही है .....

हर रिश्ता खुल के जियो
शक को जगह कोई न दो
जो कहना है आज कहो
कल की कोई शाख नही है ........

नाराज़ हो कर तुम
दायरे समेट तो लो
पर दिल में दरिया रखो
हमदम खुदा तो नही है ......

तोड़ने से पहले कोई दिल
आयने में झाँक तो लो
जो रहता है उस पार वो
इतना भी पाक नही है ...

चटक जाए रिश्ता कोई
फिर से जुड़ सकता है
झिर्रिया फिर भी दिखती है
गांठो में साख नही है ......

हर कदम संभल के रखो
हर हरफ वजन कर कहो
हर नाता प्रेम से बाँचो
की रिश्तो में आंच नही है ....

पल भर में बुझते है
सदियों में फ़ना होते है

रिश्ते बड़े नाज़ुक होते हैं .....

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