शुक्रवार, जून 20, 2008

कांच

कांच है ....चटक गया तो क्या
देखो तो जुड़ कर अब भी खड़ा है.......

वो "पैटर्न " जो दीखता है उस पर
तितली है या जैसे जुगनू हो फैले
चटक की "लाईनों " से गुज़र कर
रोशन हो जाए "पैटर्न "जैसे .......

जैसे ...... मर्यादा औरत की
ठोकर लगने पर भी हर दिन
जिंदगी को नए मायने देती है
चटक की "लाइन " से गुज़र के
जिंदगी को रौशनी से भर देती है ....
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तन्हा - तनहा

शादी में "Titan" का जोड़ा मिला था
रिश्ते की छाप पड़ गयी है शीशो पर

सिर्फ सुइया मिलती है अब एक वक़्त पर
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तुम सोचती थी तो मैं मुस्कुराता था
मैं देख लूँ तो लज्जा जाती थी तुम

लकीरे सिमट गई है अब चेहरों पे
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एक तेरे और एक मेरे हाथ का छापा
घर के चौखट पे दोनों ने लगाया था

दरार पड़ गई है दरवाज़े में वही

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