कांच है ....चटक गया तो क्या
देखो तो जुड़ कर अब भी खड़ा है.......
वो "पैटर्न " जो दीखता है उस पर
तितली है या जैसे जुगनू हो फैले
चटक की "लाईनों " से गुज़र कर
रोशन हो जाए "पैटर्न "जैसे .......
जैसे ...... मर्यादा औरत की
ठोकर लगने पर भी हर दिन
जिंदगी को नए मायने देती है
चटक की "लाइन " से गुज़र के
जिंदगी को रौशनी से भर देती है ....
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कुंआरी उम्र की देहरी पर
2 हफ़्ते पहले


