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भीड़ में भी हैं तन्हा.....

देखिए तो लगता है ज़िंदगी की राहो में एक भीड़ चलती है सोचिए तो लगता है भीड़ में भी हैं तन्हा....

शुक्रवार, अगस्त 28, 2009

भीड़ में भी हैं तन्हा.....: नया पता

भीड़ में भी हैं तन्हा.....: नया पता
Posted by Gee at 10:18 pm कोई टिप्पणी नहीं:
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शब्दो की सखी

शब्द है कि लाखो की संख्या मे दिलो दीमाग पर हावी हुए जाते है ....शब्दो को स्याही से शक्ल दो तो किस्से ,कहानिया ,कविताए बन उभरती हैं .
समय से हमेशा प्रतिस्पर्धा रहती है मेरी .
कामकाजी महिला ,ग्रहणी , माँ, पत्नी ,बेटी ,बहू हूँ और इन सब के बाद एक लेखिका ..... शब्दो की दोस्त ,हमदर्द ....
यहाँ है -कुछ मेरी कही -सुनी ,कुछ जग देखी का विवरण ...आप के समक्ष..आप की समीक्षा के लिए .

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समंदर समेटे बैठे हैं दिल की गहराइयों में, तूफ़ान की इक तेज़ लहर का इंतज़ार करते हुए....
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